देवांगना--आचार्य चतुरसेन शास्त्री

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16. गुरु के सम्मुख : देवांगना आचार्य वज्रसिद्धि ने एकान्त कक्ष में दिवोदास को बुलाकर कहा—"यह क्या वत्स, मैंने सुना है कि तुमने चीवर त्याग दिया—भिक्षु-मर्यादा भंग कर दी?" "आपने सत्य ...

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